ईमानदारों के सम्मेलन में
ರಚನೆ: हिंदी भाषा शिक्षक मंच सिद्दापुर, शिरसी शैक्षिक जिला
एक अंक के प्रश्नोत्तर
उत्तर: लेखक परसाई जी को होटल के एक बड़े कमरे में ठहराया गया |
उत्तर: लेखक एक सौ पचास (150) रुपये बचाने के लिए दूसरे दर्जे में सफर करना चाहते थे।
उत्तर : हरिशंकर परसाई जी को देश के प्रसिद्ध ईमानदार समझकर सम्मेलन के उद्घाटन के लिए निमंत्रण भेजा गया था। इसी कारण से परसाई जी ने सम्मेलन में भाग लिया।
उत्तर : सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से ईमानदार तथा उदीयमान ईमानदारों को बड़ी प्रेरणा मिल सकती थी।
उत्तर : लेखक पहनने के कपड़े सिरहाने दबाकर सोए ।
उत्तर : लेखक ने धूप का चश्मा टेबल पर रखा था |
दो अंकवाले प्रश्नोत्तर
उत्तर: लेखक को भेजे गये निमंत्रण पत्र में लिखा था - “हम लोग इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन कर रहें हैं । आप देश के प्रसिद्ध ईमानदार हैं । हमारी प्रार्थना है कि आप इस सम्मेलन का उद्घाटन करें । हम आपको आने जाने का पहले दर्जे का किराया देंगे तथा आवास , भोजन आदि की उत्तम व्यवस्था करेंगे । आपके आगमन से ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदारों को बड़ी प्रेरणा मिलेगी।”
उत्तर: फूल मालाएँ मिलने पर लेखक सोचने लगे कि आस - पास कोई माली होता तो फूल - मालाएँ भी बेच लेता ।
उत्तर : ईमानदारों के सम्मेलन में पुलिस ईमानदारों की तलाशी ले , यह बड़ी अशोभनीय बात हागी , फिर इतने बड़े सम्मेलन में थोड़ी गड़बड़ी होगी ही इस प्रकार लेखक ने मंत्री को समझाया ।
उत्तर : चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेलीगेट ने सुझाव दिया कि- चप्पलें एक जगह नहीं उतारना चाहिए एक चप्पल यहाँ उतारिये , तो दूसरी दस पीट दूर रकना चाहिय ।
उत्तर : लेखक की सब चीजें चुरा ली गयी । ताला तक चोरी में चला गया । अब वे बचे थे। अगर रूकते तो वे ही चुरा लिए जाते । इसलिए लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय लिया ।
उत्तर : लेखक ने दूसरे दर्जे में जाकर पहले का किराया लेने की बात सोची और स्टेशन पर दस बड़ी फूल - मालाएँ पहनायी गयी तो उन्होंने सोचा कि आस - पास कोई माली होता तो फूल - मालाएँ भी बेच लेते। इस प्रकार मुख्य अतिथि की बेईमानी दिखाई देती है ।
चार अंकवाले प्रश्नोत्तर
उत्तर: लेखक दूसरे दिन बैठक में जाने के लिए धूप का चश्मा खोजने लगे , शाम को उन्होंने टेबल पर रखा था अब नहीं मिल रहा था | एक दो लोगों से पूछने पर बात फैल गयी । बिना चश्मे के बैठक में आए। सम्मेलन के बीच पन्द्रह मिनट चाय की छुट्टी हुई । एक सज्जन आकर चश्मा चोरी हो जाने की बात की। वे पहले दिन चश्मा नहीं लगाये थे लेकिन अब वह चश्मा लगाये थे ।, वह धूप का चश्मा लेखक का था । लेखक से कहा कि आपने चश्मा नहीं लगाये थे क्या ? तब लेखक कहते हैं कि रात की चाँदनी में धूप का चश्मा लगाया जाता है क्या ? मैंने कमरे की टेबुल पर रख दिया था । वह सज्जन बड़े चाव से लेखक का चश्मा लगाकर इतमीनान से बैठा था ।
उत्तर: मंत्री तथा कार्यकर्ताओं के बीच इस प्रकार वार्तालाप हुआ :-
मंत्री: तुम लोग क्या करते हो ? तुम्हारी ड्यूटी यहाँ है तुम्हारे रहते चोरियाँ हो रही हैं । चोरी की बात
फैली , तो कितनी बदनामी होगी ? यह ईमानदार सम्मेलन है ।
कार्यकर्ता: ' हम क्या करें ? अगर सम्माननीय डेलीगेट यहाँ वहाँ जायें, तो क्या हम उन्हें रोक
सकतें हैं ?
मंत्री: मैं पुलिस को बुलाकर यहाँ सबकी तलाशी करवाता हूँ ।
उत्तर : सम्मेलन के पहले दिन लेखक उद्घाटक तथा अतिथि होने के कारण एक घंटे तक भाषण देने के बाद लोगों से बातें करते हुए चप्पलें पहनने गये लेकिन चप्पल वहाँ से गायब हो गया था । नयी चप्पल की जगह फटी पुरानी चप्पल बची थी । उसी को पहनकर आ गए । एक ईमानदार डेलीगेट उनके कमरे में आकर चप्पल के बारे में पूछने लगे , लेकिन उनके पाँवों में लेखक की ही चप्पलें थीं । वे लेखक के फटी - पुरानी चप्पल देख रहे थे , वह प्रायः उनकी ही थी । होटल आने पर देखा एक बिस्तर की चादर गायब थी। दूसरे दिन गोष्ठियाँ खतम करके रात को होटल लौटा तो देखा दो और चादर गायब हो गयी थी । दूसरे दिन बैठक में जाने के लिए धूप का चश्मा खोजने लगा , लेकिन चश्मा वहाँ से गायब था , एक सज्जन धूप का चश्मा कहाँ रखे थे पूछते हुए आये।वे पहले दिन धूप का चश्मा नहीं पहने थे , लेकिन अब वह धूप का चश्मा पहन कर आए थे। वह चश्मा लेखक का था । तीसरे दिन रात को कमरे में आए ठण्ड के कारण बिस्तर से कम्बल ओढना चाहा तो देखा कम्बल भी गायब था । इस तरह लेखक की सब चीजें चोरी हो गयी थीं । लेखक को सम्मेलन में ये सारे अनुभव हुए ।