कर्नाटक संपदा

कर्नाटक संपदा

ರಚನೆ: हिंदी भाषा शिक्षक मंच सिद्दापुर, शिरसी शैक्षिक जिला

एक अंक के प्रश्नोत्तर

उत्तर: कर्नाटक में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली लंबी पर्वतमालाओं को पश्चिमी घाट कहते हैं।

उत्तर: कर्नाटक में जोग, अब्बी, गोकाक, शिवनसमुद्र आदि जलप्रपात हैं।

उत्तर : श्रवणबेलगोल की गोमटेश्वर मूर्ति की ऊँचाई ५७ फूट है ।

उत्तर : बेंगलूर नगर को सिलिकॉन सिटी कहा जाता है।

उत्तर : भद्रावती में कागज और लोहे के दो प्रमुख कारखाने है।

उत्तर : सेंट फिलोमिना चर्च मैसूर शहर में है।

उत्तर : बिजापुर नगर का प्रमुख आकर्षक स्थान गोल गुंबज है।

उत्तर : अरबी समुद्र कर्नाटक की पश्चिम दिशा में है।

उत्तर : कर्नाटक की दक्षिण दिशा में नीलगिरि की पर्वतमालाएँ शोभायमान हैं।

दो अंकवाले प्रश्नोत्तर

उत्तर: कावेरी, कृष्ण, तुंगभद्रा कर्नाटक की प्रमुख नदियाँ हैं और जोग, अब्बी, गोकाक, शिवनसमुद्र यह कर्नाटक के प्रसिद्ध जलप्रपात हैं।

उत्तर: कर्नाटक के ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हैं – कुवेंपु, द.रा. बेंद्रे, शिवराम कारंत, मास्ति वेंकटेश अय्यंगार,वि.कृ. गोकाक, यु.आर. अनंतमूर्ति, गिरिश कार्नाड और चंद्रशेखर कंबार है।

उत्तर : बाँध और जलाशयों से हजारों एकड जमीन सींची जाती है । इसके अलावा इन नदियों के जलाशयों की सहायत से ऊर्जा उत्पादन होती है।

उत्तर : कर्नाटक के कुछ प्रमुख राजवंशों के नाम गंग, कदंब, राष्ट्रकूट, चालक्य, होयसल, ओडेयर आदि राजवंशों ने तथा कृष्णदेवराज,मदकरीनायक, रानी अब्बक्का देवी, कित्तूर चेन्नम्मा, टिप्पु सुल्तान, आदिलशाह आदि हैं ।

उत्तर : बेंगलूर में एच.ए.एल्. एच.एम.टी., आई.टी.आई. एच.ई.एल., बि.ई.एल्. जैसे बहुत संस्थाएँ हैं।

चार अंकवाले प्रश्नोत्तर

उत्तर: कर्नाटक की प्राकृतिक सुषम्य नयन मनोहर है । पश्चिम में विशाल अरब्बी समुद्र लहराता है।इसी प्रांत में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली लंबी पर्वतमालाएँ हैं, जो पश्चिमी घाट कहलाता है । इन्ही घाटों का कुछ भाग सह्याद्रि कहलाता है। दक्षिण में नीलगिरि की पर्वतावलियाँ शोभायमान है ।

उत्तर: कर्नाटक राज्य की शिल्पकला अनोखी है । बादामी, ऐहोले, पट्टदकल्लु मंदिरो की शिल्पकला और वास्तुकला अदभुत है । बेलूर हलेबीडु, सोमनाथपुर के मंदिरो में पत्थर की मूर्तियाँ सजीव लगती है । ये सुंदर मूर्तियां हमें रामायण, महाभारत, पुराणों की कहानियाँ सुनाती है ।श्रवणबेलगोल में ५७ फूट ऊँची गोमटेश्वर की एकशिला प्रतिमा है, जो दुनिया को त्याग और शांति का संदेश दे रही है । विजायपुरा के गोलगुंबज़ की व्हिस्परिंग गैलरी वास्तुकला का अद्वितीय दृष्टांत है । मैसूर का राजमहल कर्नाटक के वैभव का प्रतीक है । प्राचीन सेंट फिलोमिना चर्च, जगनमोहन राजमहल का पुरातत्व वास्तु संग्रहालय अत्यंत आकार्षणीय है।

उत्तर : कर्नाटक के अनेक साहित्यकारों ने सारे संसार में कर्नाटक की कीर्ति फैलायी है । वचनकार बसवण्णा, क्रांतिकारी समाज सुधारक थे । अक्कमहादेवी, अल्लमप्रभु सर्वज्ञ जैसे अनेक संतों ने अपने अनमोल वचनों द्वारा प्रेम, दया और धर्म की सीख दी है। पुरंदरदास, कनकदास आदि भाक्त कवियों ने भक्ति नीति सदाचार के गीत गायें है । पंप, रत्न, पोन्न, कुमरव्यास,हरिहर, राघवांक आदि ने महान काव्यों की रचना की है । कुवेंपु, द.रा. बेंद्रे, शिवराम कारंत, मास्ति वेंकटेश अय्यंगार, वि.कृ. गोकाक, यु.आर. अनंतमूर्ति, गिरिश कार्नाड और चंद्रशेखर कंबार कर्नाटक के ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हैं ।