तुलसी के दोहे

तुलसी के दोहे

ರಚನೆ: हिंदी भाषा शिक्षक मंच सिद्दापुर, शिरसी शैक्षिक जिला

एक अंक के प्रश्नोत्तर

उत्तर: तुलसीदास मुख को " मुखिया " मानते है ।

उत्तर: मुखिया को " मुँह " के समान रहना चाहिए ।

उत्तर : हंस का गुण पानी रूपी विकार को छोडकर सिर्फ दूध रूपी गुण पीने का होता है ।

उत्तर : मुख शरीर के सारे अंगों का पालन - पोषण करता है ।

उत्तर : दया " धर्म " का मूल है ।

उत्तर : तुलसीदास जी " भक्तिकाल की रामभक्ति " शाखा के कवि हैं |

उत्तर : तुलसीदास जी की माता का नाम हुलसी और पिता का नाम आत्माराम था ।

उत्तर : तुलसीदासजी के बचपन का नाम " रामबोला " था ।

उत्तर : पाप का मूल “ अभिमान ( अहंकार ) " है ।

उत्तर : तुलसीदास जी के अनुसार विपत्ति के साथी “ विद्या , विनय और विवेक " हैं।

दो अंकवाले प्रश्नोत्तर

उत्तर: तुलसीदासजी कहते है कि , मुखिया ( नेता ) मुख ( मुंह ) के समान होना चाहिए | जिस प्रकार मुँह खाने पीने का काम अकेला करता है , लेकिन उससे शरीर के सकल अंगों का पालन - पोषण होता है । उसी तरह मुखिया को भी काम अपनी तरह से करना चाहिए । लेकिन उस काम का फल सभी को मिलना चाहिए ।

उत्तर: तुलसीदास हंस पक्षी के साथ संत की तुलना करते हुए उसके स्वभाव का परिचय देते हैं| सृष्टिकर्ता ने इस संसार को जड़ - चेतन और गुण - दोष से मिलाकर बनाया है । अर्थात् , इस संसार में अच्छे बुरे ( सार - निस्सार ) , समझ - नासमझ के रूप में अनेक गुण - दोष भरे हुए हैं, लेकिन हंस रूपी साधु लोग विकारों को छोड़कर अच्छे गुणों को अपनाते हैं ।

उत्तर : प्रस्तुत दोहे के द्वारा तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस तरह देहरी पर दिया रखने से घर के भीतर तथा आँगन में प्रकाश फैलता है उसी तरह राम - नाम जपने से मानव के आंतरिक और बाह्य शुद्धि होती है ।