बसंत की सच्चाई
रचना: हिंदी भाषा शिक्षक मंच सिद्दापुर, शिरसी शैक्षिक जिला
अनुरूपता प्रश्न
उत्तर: अहीर टीला ।
उत्तर: अनाथ बच्चा।
उत्तर : सेवक।
उत्तर : डॉक्टर|
एक अंक के प्रश्नोत्तर
उत्तर: बसंत बटन, छलनी, दिया सलाई आदि बेचता था|
उत्तर: बसंत के छोटे भाई का नाम प्रताप था।
उत्तर : पंडित राजकिशोर मजदूरों के नेता थे।
उत्तर : छलनी का दाम दो आना था|
उत्तर : बसंत और प्रताप भीखू अहीर के घर में रहते थे|
उत्तर : बसंत की सच्चाई एकांकी में तीन दृश्य है।
उत्तर : एकांकी का प्रथम दृश्य नगर के बाजार में घटता है।
उत्तर : बसंत के घर पर डॉक्टर को अमरसिंह ले आया।
उत्तर : पंडित राजकिशोर के अनुसार बसंत में निहित दुर्लभ गुण ईमानदारी है।
उत्तर : पंडित राजकिशोर किशनगंज में रहते थे|
दो अंकवाले प्रश्नोत्तर
उत्तर: छलनी से दूध, चाय आदि छान सकते हैं।
उत्तर: बसंत राज किशोर से विनती करता है कि साहब सवेरे से कुछ भी व्यापार नहीं हुआ है। आप एक छलनी ले लीजिए। छलनी का दाम सिर्फ दो आना है।
उत्तर : बसंत एक स्वाभिमानी और ईमानदार लड़का है। वह भीख माँगना नहीं चाहता था। इसलिए बसंत राजकिशोर से दो पैसे लेने से इनकार करता है ।
उत्तर : बसंत नोट भुना कर लौट रहा था तब मोटर के नीचे आकर दुर्घटना ग्रस्त हो गया| उसके पैर कुचले गये वह बेहोश हो गया इसलिए वह राजकिशोर के पास नहीं लौटा]
उत्तर : प्रताप बसंत का छोटा भाई था।बसंत राज किशोर जी को साढ़े चौदह आने वापस देना था| लेकिन बसंत दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण नहीं दे सका था।इसलिए प्रताप अपने भाई के आदेश के अनुसार पैसे वापस देने राजकिशोर के घर आया था।
उत्तर : बसंत के पैर देखकर डॉक्टर ने कहा कि एक पैर ठीक है। दूसरे पैर की हड्डी टूट गई है। इसे स्क्रीन करके देखना होगा। इसे अभी तुरंत अस्पताल ले जाना होगा|
चार अंकवाले प्रश्नोत्तर
उत्तर: बसंत एक गरीब शरणार्थी लडका था।वह अपने भाई प्रताप के साथ भीखू अहीर के घर में रहता था। वह बाजार में छलनी, बटन, दियासलाई आदि चीजों को बेच कर अपना जीवन बिताता था।गरीब था लेकिन वह भीख माँगना नहीं चाहता था| नोट भुनाकर वापस आते समय वह मोटर के नीचे आ गया।उसके दोनों पैर कुचले गए। वह बेहोश हो गया । जब उसे होश आया तो राजकिशोर जी के साढ़े चौदह आने लौटाने के लिए प्रताप को किशनगंज भेजता है।इससे हम कह सकते हैं कि वह एक ईमानदार और स्वभिमानी लडका है।
उत्तर : विष्णु प्रभाकर जी द्वारा लिखित बसंत की सच्चाई एकांकी में राजकिशोर जी का पात्र बहुत ही महत्वपूर्ण और मानवीयता से भरा हुआ है। वे मजदूरों के नेता थे| बसंत की विनती और स्वाभिमान गुण से प्रेरित होकर न चाहने पर भी एक छलनी खरीदते हैं|जब बसंत के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर मिली तो वे खुद बसंत को देखने के लिए अहीर टीला जाते हैं।डॉक्टर को बुलवाकर उसकी इलाज करवाते हैं।